At the outset.. বাট চ'ৰাতে

Welcome to my world..
I am not a writer nor a poet. Just trying to narrate some of my experiences .. I am usually comfortable in writing in Assamese, my mother tongue. Have written few blogs in English and have tried my hands in composing few poems in Hindi too.. My Hindi speaking friends may excuse me for my audacity to do so..

মোৰ জগতলৈ আদৰিছো...
কোনো কবি সাহিত্যিক মই নহয়, কিছুমান অভিজ্ঞতাৰ বৰ্ণনা মাথোন কৰিছো ইয়াত.. মাতৃভাষা অসমীয়াতে লিখি ভাল পাওঁ যদিও ইংৰাজীতো লিখিছো.. হিন্দী ভাষাতো দুটামান কবিতা লিখিবলৈ চেষ্টা কৰি চাইছো....

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Thursday, 8 August 2013

इस सूखे मौसम में भी

इस सूखे मौसम में भी...

पूरी रात
कविता की अक्षर खिले

शुद्ध सफेद भात की तरह
पवित्र एक पृथ्वी
कविता में
शब्दों की शंख बजती है

सुबह होते ही
अथाह गहरी खून में
डूबे हुए रहते हैं
ठंडे अक्षरों
हवा के एक झोंके से
गिरते है आरम्बध के पंखुड़ियों


इस सूखे मौसम में भी
पहाड़ियों की सन्नाटा तोड़ के
कोई गाना गाता है
कहीं दूर


रबिन्द्र सरकार की असमीया कविता 'एइ खरालितो' का अनुवाद 

शोक

शोक

उनकी कविताओं में कभी
सितारें खिलते थे

ह्म लम्बी सांस लेते थे

आदमी नाम की पवित्रता
शरीर में चिपके हुए थे

अब शब्दों हैं धुंधल


फटे झोपड़ी में
उनकी कविता में
उड़ आ कर गिरा है
एक सूखा पत्ता

रबिन्द्र सरकार की असमीया कविता 'शोक' का अनुवाद