मैं प्यासा था
लंबे समय से
धूप में चलते चलते
थक गया था
मेरे सिर पर था सूरज
जो चूस रहा था
मेरी सारी ऊर्जा.......
कोई हवा नहीं थी
आसपास नहीं था
कोई पेड़-पौधा
ताकि छाया में
आराम कर सकूँ.....
मैं बस जा रहा था
आगे बढ़ रहा था
पता नहीं था
कितनी देर तक
मैं जारी रख सकता.....
तो फिर आप मिले
रास्ते में
करते हुये इंतज़ार
पानी लेकर अपने साथ.
आपने पानी की पेशकश की
मेरे मागंने से पहले ही
मैने पानी पीया
जी भरके
ऐसा महसूस हुआ
कि नया जीवन मिला..
कुछ पल आराम किया
आप को धन्यवाद दिया
और मैने फिर शुरू कर दिया
आगे बढ़ना.....
नाम तक नहीं पूछा
मैंने आपका
बस, भूल ही गया
या आपकी जाति, धर्म
या परिवार की पृष्ठभूमि
मुझे तो केवल
पानी से मतलब था...
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ड० माखन लाल दास "बेफिक्र"
लंबे समय से
धूप में चलते चलते
थक गया था
मेरे सिर पर था सूरज
जो चूस रहा था
मेरी सारी ऊर्जा.......
कोई हवा नहीं थी
आसपास नहीं था
कोई पेड़-पौधा
ताकि छाया में
आराम कर सकूँ.....
मैं बस जा रहा था
आगे बढ़ रहा था
पता नहीं था
कितनी देर तक
मैं जारी रख सकता.....
तो फिर आप मिले
रास्ते में
करते हुये इंतज़ार
पानी लेकर अपने साथ.
आपने पानी की पेशकश की
मेरे मागंने से पहले ही
मैने पानी पीया
जी भरके
ऐसा महसूस हुआ
कि नया जीवन मिला..
कुछ पल आराम किया
आप को धन्यवाद दिया
और मैने फिर शुरू कर दिया
आगे बढ़ना.....
नाम तक नहीं पूछा
मैंने आपका
बस, भूल ही गया
या आपकी जाति, धर्म
या परिवार की पृष्ठभूमि
मुझे तो केवल
पानी से मतलब था...
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ड० माखन लाल दास "बेफिक्र"
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