मेरे कुछ चुनिन्दा मुक्तक.....
1......
बेफिक्र हुँ मैं फिक्र करता हुँ मगर
आदत रही मुझको बनाने की डगर
हुँ परेशाँ क्यों कटे इस क्षेत्र में पर
अब हजारों आस के प्यारे सजर ..
2....
खुदमें खुदको खुब तलाशा
पाने की थी पूरी आशा
अनजाने में लेकिन दिलने
मुझको दिया करारा झांसा
3.....
तेरे घर आने को तैयार था
तेरी दावत का इंतजार था
तेरे शहर में आके भी
दुर्लभ तिरा दीदार था .
4....
भाषा ने लोगों को जोड़ा
उसी ने लोगों को तोड़ा
बहुत अनुरागी थे जो
उन्होंने ही मुँह मोड़ा .
1......
बेफिक्र हुँ मैं फिक्र करता हुँ मगर
आदत रही मुझको बनाने की डगर
हुँ परेशाँ क्यों कटे इस क्षेत्र में पर
अब हजारों आस के प्यारे सजर ..
2....
खुदमें खुदको खुब तलाशा
पाने की थी पूरी आशा
अनजाने में लेकिन दिलने
मुझको दिया करारा झांसा
3.....
तेरे घर आने को तैयार था
तेरी दावत का इंतजार था
तेरे शहर में आके भी
दुर्लभ तिरा दीदार था .
4....
भाषा ने लोगों को जोड़ा
उसी ने लोगों को तोड़ा
बहुत अनुरागी थे जो
उन्होंने ही मुँह मोड़ा .
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