ब्रह्मपुत्रमें सूर्यास्त..../नीलमणि फुकन ------
शून्यता के हाथों से गिर पड़ा
दिन का हिरण्यमय ह्रदय पात्र
चुपचाप गिर पड़ा
और डूब गया
बुदबुदाहट में प्रकाशित हुआ
पात्र का रक्त रंगीन अवशेष
दिल तोड़ देनेवाली उसकी चमक
मनुष्योंकी अन्तिम लालसाओंका
कैसा प्रज्ज्वलन
अब लौट गया हर एक दर्शक
जाग उठा हर किसी में एक ही दर्द
धुएँ और अंधकार की आकाश सीढ़ियोंसे
उतरा है स्वयं खालीपन
उतर आया है ह्रदय का खालीपन
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असमीया कवि नीलमणि फुकन की कविता का अनुवाद
शून्यता के हाथों से गिर पड़ा
दिन का हिरण्यमय ह्रदय पात्र
चुपचाप गिर पड़ा
और डूब गया
बुदबुदाहट में प्रकाशित हुआ
पात्र का रक्त रंगीन अवशेष
दिल तोड़ देनेवाली उसकी चमक
मनुष्योंकी अन्तिम लालसाओंका
कैसा प्रज्ज्वलन
अब लौट गया हर एक दर्शक
जाग उठा हर किसी में एक ही दर्द
धुएँ और अंधकार की आकाश सीढ़ियोंसे
उतरा है स्वयं खालीपन
उतर आया है ह्रदय का खालीपन
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असमीया कवि नीलमणि फुकन की कविता का अनुवाद
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