इस सूखे मौसम में भी...
इस सूखे मौसम में भी
पूरी रात
कविता की अक्षर खिले
शुद्ध सफेद भात की तरह
पवित्र एक पृथ्वी
पवित्र एक पृथ्वी
कविता में
शब्दों की शंख बजती है
सुबह होते ही
अथाह गहरी खून में
डूबे हुए रहते हैं
ठंडे अक्षरों
ठंडे अक्षरों
हवा के एक झोंके से
गिरते है आरम्बध के पंखुड़ियों
इस सूखे मौसम में भी
पहाड़ियों की सन्नाटा तोड़ के
कोई गाना गाता है
कहीं दूर
रबिन्द्र सरकार की असमीया कविता 'एइ खरालितो' का अनुवाद
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