At the outset.. বাট চ'ৰাতে

Welcome to my world..
I am not a writer nor a poet. Just trying to narrate some of my experiences .. I am usually comfortable in writing in Assamese, my mother tongue. Have written few blogs in English and have tried my hands in composing few poems in Hindi too.. My Hindi speaking friends may excuse me for my audacity to do so..

মোৰ জগতলৈ আদৰিছো...
কোনো কবি সাহিত্যিক মই নহয়, কিছুমান অভিজ্ঞতাৰ বৰ্ণনা মাথোন কৰিছো ইয়াত.. মাতৃভাষা অসমীয়াতে লিখি ভাল পাওঁ যদিও ইংৰাজীতো লিখিছো.. হিন্দী ভাষাতো দুটামান কবিতা লিখিবলৈ চেষ্টা কৰি চাইছো....

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Friday 21 June 2013

भविष्य ....

एक नया दिन आम तौर पर बृद्धाश्रम के आवासियों के लिए कुछ भी नया नहीं लाता | एक समाजसेवी संस्था द्वारा प्रबंधित इस बृद्धाश्रम में कुछ तीस लोग रहतें हैं |  उन सबके  पत्नियाँ थीच्चें थे और था एक घटनापूर्ण अतीत | वे एक साथ रहते हैं, लेकिन इस स्थान पर किसीका मन नहीं लगता |
चौ साल के  निवेश चोपड़ा भी उनमें से एक हैं | बीस साल पहले अपनी पत्नी के  निधन के बाद उन्होंने अकेले ही अपने बच्चों को पाल-पोष कर ड़ा किया  | चारों बेटियों की शादी हो गई हैं  | उनका इकलौता बेटा, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, संयुक्त राज्य अमेरिका में है |  कुछ दस साल पहले ही वह चला गया था और ही बस गया |   शुरू में तो हर साल भारत की यात्रा करता था  अब ना कम हो गया है   तीन सा हो गये हैं, निवेश चोपड़ा को  उसे देखे हुए वे फेसबुक में हैं - ओर बेटा भी वे एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं - फेसबुक के माध्यम से  कभी कभी बेटा फोन भी करता है - कुछ ही मिनटों के लिए.   लेकिन अब निवेश चोपड़ा उसकी परवाह नहीं करते. यह सिर्फ एक नियम जैसा बन गया है.
निवेश चोपड़ा को एक छोटी सी पेंशन मिलती है और उसीसे गुजारा हो जाता है बच्चों पर सारी बचत खर्च करने के बाद उनके बैंक खाते में  एक छोटी सी रकम बाकी रह गई हैबेटे को  विदेश भेजने के लिए लिया गया कर्ज  चुकाने के लिए घर  बेचना पड़ा था. लेकिन यह बात उन्हें भी  परेशान नहीं करती . अपने भविष्य के लिए कुछ बचाना अब जरूरी नहीं रहा .
कभी कभी निवेश चोपड़ा बहुत अकेला महसूस करते है. लेकिन यह के लिए अब एक सामान्य बात हो गई हैदिनभर फेसबुक में व्यस्त रहते हैकुछ दोस्त जुड़ गये हैं सभी दोस्त समय गुजारने के लिए काफी अच्छे हैं और उनके पास तो समय ही समय है.
अपने बच्चों को भूलने की कोशिश करते हैं,  लेकिन यह आसान नहीं है. च्चें माता-पिता को भूल सकते हैं, लेकिन माता-पिता कभी नहीं .
हमेशा की तरह, दोपहर में एक छोटी  सी झपकी लेने के बाद, निवेश चोपड़ा की, फेसबुक पर एक सुंदर बच्चे की तस्वीर पर नज़र पड़ीउनके बेटे ने ही  पोस्ट किया था. अचानक उन्हे याद आया की आज पोते का जन्मदिन है. उन्होंने  केवल फेसबुक पर ही पोते को देखा था. निवेश  चोपड़ा बहुत ध्यान से तस्वीर को देखने लगे. हुत प्यारा बच्चा, बिलकुल दादा पर गया है, यानी के जैसा ही.    उसके बाद पोते की तस्वीर के ऊपर लिखा हुआ शीर्षक पढ़ा, "मेरा भविष्य".
निवेश चोपड़ा कुछ देर सोचते रह गये फिर उस फोटो को लाईक किया और नीचे कमेन्ट लिख दिया "तुम भी तो मेरा भविष्य थे" ...

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डॉ. माखन लाल दास


1 comment:

  1. बदलते हुए जीवन मूल्योँ पर करारी चोट. बधाई भाई Dr. Makhan Lal Das.
    DrRaghunath Misra.

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