अगर हमारे जीवन से
छीन लिये जाते
राजनेताओं के झूठे वादें,
नकली भाषण उनके
परिकलित वायदें
जो हमेशा टूट ही जाते,
तो शायद अच्छे ही होते|
लगभग सबतो यही है चाहते
न्यूनतम चाह है सबके
स्वास्थ्य सेवा, एक छोटा सा घर
सुविधा हो शिक्षा के लिये,
सुरक्षित एक नौकरी से
नियमित कूछ कमा सके
ताकि आहार-कपड़ा खरीदे
बस, मामूली उम्मीद ही तो है|
क्या हम इतने भी नही कर सकते?
राजनेताओं के झूठे वादें,
नकली भाषण उनके
परिकलित वायदें
जो हमेशा टूट ही जाते,
तो शायद अच्छे ही होते|
लगभग सबतो यही है चाहते
न्यूनतम चाह है सबके
स्वास्थ्य सेवा, एक छोटा सा घर
सुविधा हो शिक्षा के लिये,
सुरक्षित एक नौकरी से
नियमित कूछ कमा सके
ताकि आहार-कपड़ा खरीदे
बस, मामूली उम्मीद ही तो है|
क्या हम इतने भी नही कर सकते?
--Translation of Rabindra Padhi's poem "Modest Hope."
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